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मदारिस पर खर्च करना

          हजरत अल्लामा मोहम्मद अहमद मिस्बाही फरमाते हैं हुज़ूर हाफिज ए मिल्लत को मस्जिद और मदरसा की अमूमी इफादियत(फायदा )का फ़र्क बयान करते हुए हमने बार-बार सुना कि अगर किसी ने मस्जिद की तामीर में हिस्सा लिया तो उसे उस मस्जिद में हर नमाज़ पढ़ने वाले का सवाब मिलेगा। लेकिन अगर यही दूसरी मस्जिद या किसी दूसरी जगह नमाज़ पढ़े तो उसके नमाज पढ़ने का सवाब पहली मस्जिद तामीर करने वाले को न मिलेगा ।
और अगर किसी ने मदरसा की तामीर में हिस्सा लिया तो उसे मदरसे से नमाज़ व रोज़ा ,अहकाम-ए- शरीअ़त (दीनी बातें)और उलूमें दीनीया सीख कर जाने वाला हर एक तालिब-ए-इल्म जहां भी रहे जिस जगह नमाज़ पढ़े, रोज़ा रखे और कोई कार्य खैर करे ।उस मदरसा की तामीर में हिस्सा लेने वाला उस तालिब-ए-इल्म के हर कार्य खेर का सबाब पाएगा!

(मका़लाते मिस्बाही सफा नंबर 156)
मिन्जानिब:-
जामिया ख़दीजा (लिलबनात) पूरनपुर जनपद पीलीभीत यू पी
मोबाइल नंबर 9548424786

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